
पाटलिपुत्रा न्यूज़ @डेस्क : जैसे-जैसे यह साफ हो रहा है कि बीजेपी उत्तरी राज्यों में भी दबाव में होने के कारण बैकफुट पर है, आलोचक और प्रशंसक- दोनों ही प्रधानमंत्री नरेेंद्र मोदी के एक-एक शब्द को बड़े ध्यान से सुन रहे हैं। अपने चुनावी भाषणों और विभिन्न मीडिया संस्थानों को ‘उपकृत’ करके हुए उन्होंने जो अचानक एक के बाद एक साक्षात्कारों की झड़ी लगा दी, उनमें उन्होंने कई ऐसी बातें कहीं जिन्होंने दोनों तरह के लोगों का ध्यान अपनी ओर खींचा।

मोदी के मुंह से निकले एक-एक शब्द इसलिए भी अहम हैं क्योंकि उन्हें विभिन्न भरोसेमंद स्रोतों से जमीनी-खुफिया जानकारी मिलती होगी और उनकी बातों में उसकी झलक मिलना स्वाभाविक है। अगर इन ‘मंचित’ साक्षात्कारों से झांकते तथ्य किसी नैरेटिव में नई जान फूंकने की दृष्टि से न हों तो भी मोदी की बातों के लय, भाव में गौर करने वाले बदलाव तो आए ही हैं। ये बदलाव सभी के लिए नए आयाम खोलने वाले हैं, उनके लिए भी जो मोदी की छवि बनाते और फैलाते हैं।

आलोचक इसलिए मोदी की बातों को सुनकर उम्मीद बांध रहे हैं क्योंकि उनके भाषण निहायत असंगत होते हैं और वह पहले कही बातों से एकदम यू-टर्न ले लेते हैं जो बताता है कि वह कितने परेशान हैं। उदाहरण के लिए, उनका दावा कि कांग्रेस सरकार सबसे सबकुछ छीनकर मुसलमानों को दे देगी।

