
पाटलिपुत्रा न्यूज़ @डेस्क : मोदी के प्रशंसकों को 74 साल की उम्र में थकाऊ चुनावी कार्यक्रम में दौड़ते-भागते प्रधानमंत्री में आशा दिखाई देती है। वे यह मानने को तैयार नहीं कि मोदी 75 साल की उम्र में सक्रिय राजनीति को अलविदा कह देंगे। अरविंद केजरीवाल के इस दावे को कि अगर एनडीए जीतता है तो मोदी की जगह 50 साल के अमित शाह प्रधानमंत्री बन जाएंगे, को बेबुनियाद बताते हुए मोदी-प्रशंसक कहते फिर रहे हैं कि मोदी के रिटायर होने का सवाल ही नहीं है और वह एक और कार्यकाल के लिए बिल्कुल फिट हैं।

उन्हें मोदी मैजिक के दम पर एनडीए के 400 सीटों के आंकड़े को सुनिश्चित करने की उनकी क्षमता पर अंधा विश्वास है।कहना है कि मोदी के चुनावी भाषण ‘चतुर’ और ‘स्मार्ट’ होते हैं जो विपक्ष को भ्रमित करने और सुर्खियां बटोरने के लिए बनाए गए होते हैं। उनका सबसे बड़ा यू-टर्न उनके भाषण में सांप्रदायिक पुट होने को लेकर था। एक टीवी चैनल से बातचीत में मोदी ने कहा कि अगर उन्होंने सांप्रदायिक बयानबाजी का सहारा लिया तो वह सार्वजनिक जीवन के लिए उपयुक्त नहीं रहेंगे, यह बताता है कि वह घबराए हुए नहीं हैं।

मीडिया में उनके प्रशंसकों के लिए भी यह इस बात का सबूत है कि उनकी जीत पक्की है।हालांकि, जैसा कि कांग्रेस के डेटा एनालिटिक्स विभाग के प्रवीण चक्रवर्ती बेबाकी के साथ स्वीकार करते हैं, किसी को भी नहीं पता कि आधा चुनाव बीत जाने के बाद ‘स्कोर’ क्या है या कौन पार्टी कितनी सीटें जीत सकती है। प्रवीण का कहना है कि इसके बारे में सबसे बेहतर जानकारी प्रधानमंत्री मोदी के पास होगी और प्रधानमंत्री के विश्वासपात्र होने के कारण केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह को भी अंदाजा होगा कि क्या होने जा रहा है। आखिर उन्हें इंटेलिजेंस ब्यूरो और दोस्ताना विदेशी ताकतों से रोजाना रिपोर्ट जो मिल रही होगी! चक्रवर्ती ने बताया कि प्रधानमंत्री ने इस साल 9 मार्च से 8 मई के बीच लगभग 81 भाषण दिए।

अप्रैल के मध्य तक उन्होंने लगातार ‘अब की बार 400 पार’ की बात की। फिर ‘400 पार’ का जिक्र धीरे-धीरे घटता हुआ बंद हो गया। प्रधानमंत्री ने मुसलमानों द्वारा सभी राष्ट्रीय संसाधनों और यहां तक कि घरों में रखे आभूषण और भैंसों को हड़पने की बात करनी शुरू कर दी। उन्होंने कांग्रेस के घोषणापत्र पर हमला किया और आरोप लगाया कि कांग्रेस मुसलमानों को खुश करना चाहती है और ओबीसी, एससी और एसटी के लिए सभी आरक्षण समाप्त कर मुसलमानों को देना चाहती है।

मई के पहले सप्ताह में उन्होंने गियर बदला और अचानक आरोप लगाया कि देश के दो सबसे बड़े व्यापारिक घरानों- अंबानी और अडानी ने ‘टेम्पो’ में काले धन से भरी बोरियां कांग्रेस को भेजी हैं। पीएम के इस बयान से शेयर बाजार धड़ाम हो गया और कांग्रेस ने मौके का फायदा उठाते हुए ईडी, आयकर विभाग और सीबीआई से जांच की मांग की। तब से प्रधानमंत्री ने अंबानी या अडानी या उनके काले धन का जिक्र नहीं किया। मई के तीसरे सप्ताह के शुरू में प्रधानमंत्री ने मुसलमानों को घुसपैठिए और ज्यादा बच्चे पैदा करने वाला कहा और लेकिन इस बात से वे एकदम मुकर गए। उन्होंने न्यूज18 टीवी चैनल से बातचीत में कहा, ‘मैंने कभी हिन्दू-मुस्लिम विभाजन की बात नहीं की; और अगर मैं ऐसा करता हूं, तो मैं सार्वजनिक जीवन के लिए फिट नहीं रहूंगा’। जब उनसे पूछा गया कि क्या मुसलमानों का उन शब्दों में वर्णन जरूरी था, मोदी ने कहा- ‘मैं हैरान हूं जी…किसने आपको कह दिया…मुसलमान की बात क्यों करते हैं? जी… गरीबों के बच्चे ज्यादा होते हैं… मैंने न हिन्दू कहा और न मुसलमान कहा।

’फैक्ट चेकर मोहम्मद जुबैर ने तुरंत ही पीएम के खुद के बयान का खंडन करने वाले वीडियो पोस्ट कर दिए।कुछ दिन पहले टाइम्स नाऊ के साथ एक इंटरव्यू में भी उनसे यही सवाल पूछा गया था। प्रधानमंत्री ‘मासूमियत’ की मूर्ति बन गए और दावा किया कि वह मुस्लिम परिवारों के बीच बड़े हुए हैं, उनके कई मुस्लिम दोस्त हैं और ईद पर मुस्लिम पड़ोसियों ने उनके परिवार को खाना भेजा। ऐसे में वह हिन्दू-मुसलमान कैसे कर सकते हैं? उन्होंने दावा किया कि वह केवल तथ्य बता रहे थे और कांग्रेस के घोषणापत्र को उजागर कर रहे थे।एक अन्य चैनल के साथ बातचीत में उन्होंने दावा किया कि वह मुहर्रम के जुलूसों में भाग लेते हुए बड़े हुए हैं। राजनीतिक विश्लेषक और टिप्पणीकार प्रेम पणिक्कर ने पोस्ट किया- ‘इस बात से पीछे हटने का एक मतलब है- बीजेपी को जमीनी स्थिति की खबर मिल रही है कि यादव, ओबीसी और मुस्लिम ‘इंडिया’ गठबंधन के पक्ष में एकजुट हो रहे हैं। मोदी मुसलमानों की इस तरह की एकजुटता नहीं चाहते इसलिए यह डैमेज कंट्रोल की कोशिश है।’
