
पाटलिपुत्रा न्यूज़ @डेस्क : जमीनी स्तर पर उथल-पुथल की ओर इशारा करने वाले अन्य संकेतक भी हैं। उत्तर प्रदेश जहां बीजेपी विशेष रूप से रामलला की प्राण प्रतिष्ठा के बाद अजेय दिखाई दे रही थी, अब बेहद असुरक्षित दिख रही है, खास तौर पर पूर्वी उत्तर प्रदेश में जहां अगले तीन चरणों में मतदान होना है। अमेठी और रायबरेली में प्रियंका गांधी की मौजूदगी ने आस-पास के निर्वाचन क्षेत्रों के चुनाव में भी जान डाल दी है। मायावती दलित मतदाताओं को बीजेपी से ‘इंडिया’ गठबंधन में जाने से रोकने की कोशिश कर रही हैं।

कुछ हफ्ते पहले तक यूपी में नजदीकी मुकाबले की संभावना नहीं दिख रही थी लेकिन बीजेपी के गढ़ भी अब अजेय नहीं दिख रहे हैं। अखिलेश यादव के कन्नौज से चुनाव लड़ने के फैसले को जिसे 2019 में बीजेपी ने जीता था, गेम चेंजर के रूप में देखा जा रहा है और यह कानपुर के नतीजे को भी प्रभावित कर सकता है।

कुश्ती महासंघ के विवादास्पद पूर्व प्रमुख बृजभूषण शरण सिंह जिन्हें बीजेपी ने टिकट न देकर उनके बेटे को मैदान में उतारा, ने यह कहकर पार्टी को शर्मिंदा कर दिया कि वह योगी आदित्यनाथ के ‘बुलडोजर राज’ से सहमत नहीं हैं। बीजेपी के करीबी एक और राजपूत डॉन राजा भैया जिन्हें कल्याण सिंह ‘कुंडा का गुंडा’ कहकर पुकारते थे, ने घोषणा की कि उनके समर्थक अपनी पसंद के किसी भी व्यक्ति को वोट देने के लिए स्वतंत्र हैं। इस रिपोर्ट ने कि अमित शाह ने यूपी में डेरा डाला और वरिष्ठ अधिकारियों के साथ सीधे बातचीत की, इन अटकलों को मजबूती दी है कि मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ को दरकिनार किया जा रहा है और चुनाव के बाद उन्हें बदल दिया जाएगा।
