
पश्चिम चंपारण जिला शिक्षा पदाधिकारी ने विभागीय आदेश का हवाला देते हुए बताया कि कुल 22 बिंदुओं के आधार पर जिला भर के सभी निजी विद्यालयों की जांच रोजाना की जाएगी। इसको लेकर एक प्रारूप भी जारी किया गया है। इसमें आरटीई सहित अन्य बिंदु शामिल हैं।

पाटलिपुत्रा न्यूज़ @ डेस्क : बिहार में अब निजी विद्यालयों की जांच सरकारी विद्यालयों की तर्ज पर की जाएगी। निजी विद्यालयों की भी नियमित जांच होगी। पश्चिम चंपारण जिला शिक्षा पदाधिकारी रजनीकांत प्रवीण ने सरकारी स्कूलों की तरह सभी प्राइवेट स्कूलों की नियमित जांच करने का आदेश शिक्षा विभाग के अपर मुख्य सचिव केके पाठक के निर्देश पर अधिकारियों को दिया है।जिला शिक्षा पदाधिकारी ने बताया कि विद्यालयों में छात्र-छात्राओं की संख्या से लेकर उनकी उपस्थिति तक की जांच पदाधिकारियों की ओर से की जाएगी। सरकारी विद्यालयों में जहां दिन भर में दो बार जांच होती है। वहीं, निजी विद्यालयों में दिन भर में एक बार जांच होगी। इसके साथ ही विद्यालय के रजिस्ट्रेशन से लेकर शौचालय तक की जांच होगी। साथ ही भूमि और विद्यालय प्रबंधन की भी जांच की जाएगी।

जिला शिक्षा पदाधिकारी ने विभागीय आदेश का हवाला देते हुए बताया कि कुल 22 बिंदुओं के आधार पर जिला भर के सभी निजी विद्यालयों की जांच रोजाना की जाएगी। इसको लेकर एक प्रारूप भी जारी किया गया है। इसमें आरटीई सहित अन्य बिंदु शामिल हैं। गौरतलब है कि शिक्षा अधिकार अधिनियम के तहत हर साल निजी विद्यालयों में प्रारंभिक कक्षा में 25 प्रतिशत बच्चों का निशुल्क नामांकन होना अनिवार्य है। इधर, जांच की बात सुन विद्यालय के प्रधानाध्यापक और शिक्षकों में हड़कंप का माहौल बना हुआ है।जानकारी के मुताबिक, पश्चिमी चंपारण जिले में 700 से अधिक निजी विद्यालय हैं। सभी विद्यालयों की संयोजित ढंग से जांच की जाएगी। साथ ही विद्यालय में कक्षाओं की उपलब्धता, बाउंड्री, खेल की सुविधा और मैदान की उपलब्धता, शिक्षक-शिक्षिका की योग्यता और उनकी संख्या का आकलन भी किया जाएगा। विद्यालयों में शौचालय की सुविधा, पानी की सुविधा आदि सुविधाओं की जांच की जाएगी।
